''ज्योतिष का सूर्य'' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका

        

Thursday, August 24, 2017

गणेश जी के ललाट पर चंद्र विराजित हैं फिर भी चन्द्र दर्शन वर्जित क्यो..?

गणेश चतुर्थी की शुभकामना !
आज गणेश चतुर्थी के दिन भगवान विनायक का जन्मोत्सव शुरू हो गया ।
यद्यपि चंद्रमा उनके पिता शिव के मस्तक पर विराजमान हैं, किंतु गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए ,, शास्त्रीय मान्यता है कि इस दिन चंद्रदर्शन से मनुष्य को निश्चय ही मिथ्या कलंक का सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों के अनुसार भाद्र शुक्ल चतुर्थी के दिन श्रीकृष्ण ने चंद्रमा का दर्शन कर लिया।,,,फलस्वरूप उन पर भी मणि चुराने का कलंक लगा। कि इस दिन किसी भी सूरत में चंद्रमा का दर्शन करने से बचना चाहिए। शास्त्रों में इसे कलंक चतुर्थी भी कहा गया है,,,चंद्रदर्शन देता मिथ्या कलंक
जब श्री गणेश का जन्म हुआ, तब उनके गज बदन को देख कर चंद्रमा ने हंसी उड़ाई। क्रोध में गणेश जी ने चंद्रमा को शाप दे दिया कि उस दिन से जो भी व्यक्ति चंद्रमा का दर्शन करेगा, उसे कलंक भोगने पड़ेंगे।
चंद्रमा के क्षमा याचना करने पर गणपति ने अपने शाप की अवधि घटाकर केवल अपने जन्मदिवस के लिए कर दी। फलस्वरूप यदि गलती से चंद्रमा का दर्शन गणेश चतुर्थी के दिन हो जाए तो गणेश सहस्त्रनाम का पाठ कर दोष निवारण करना चाहिए।,,,,गणपति की बेडोल काया देख कर चंद्रमा उन पर हंसे थे, इसलिए श्रीगणेश ने उन्हें श्रापित कर दिया था।,,,गणपति के श्राप के कारण चतुर्थी का चंद्रमा दर्शनीय होने के बावजूद दर्शनीय नहीं है। गणेश ने कहा था कि इस दिन जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा, उसे कोई न कोई कलंक भुगतना पडे़गा। इस दिन यदि चंद्रदर्शन हो जाए, तो चांदी का चंद्रमा दान करना चाहिए।
द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने चतुर्थी का चांद देख लिया तो उन पर स्यमन्तक मणि की चोरी का झूठा आरोप लगा था।

तुलसीदासजी ने भी रामचरित मानस में बताया है, 'पर नारी पर लीलार गौसांई, तजहूं चौथ के चंद्र की नांई।'
गणेश पुराण में बताया है कि केवल भाद्रपद शुक्लपक्ष विनायकी गणेश चतुर्थी का चंद्रदर्शन नहीं करना चाहिए। वर्ष भर की अन्य चतुर्थीयों की पूजा चंद्रदर्शन से ही पूर्ण होती है।
गणेशजी ने चंद्रमा को दिया था श्राप,,,,,एक बार गणेशजी कहीं जा रहे थे तो गजमुख व लम्बोदर देखकर चंद्रमा ने उनका मजाक उड़ाया था। तभी गणेशजी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज से जो भी तुम्हे देखेगा, उस पर मिथ्या ''कलंक"" लगेगाl

गणेश चतुर्थी ,,,,चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए,,,
यदि अनजाने में चंद्रमा का दर्शन हो जाए, तो इस दोष की शान्ति हेतु श्रीमद् भागवत जी के दशमस्कन्ध के 57 वें अध्याय को पढ़कर स्यमन्तक मणि की कथा सुने।
इसके अलावा इस श्लोक का पाठ भी कर सकते हैं -
सिह: प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्मेषस्यमन्तक: !!

- ज्योतिषाचार्य पण्डित विनोद चौबे, भिलाईसंपादक- 'ज्योतिष का सूर्य' राष्ट्रीय मासिक पत्रिका